Monday, February 3, 2020

मैंने मुफ़लिसी देखी हैं।



मैंने चौखट पर सर पटकती मुफ़लिसी देखी है। 
मैंने बच्चो में लड़ती झगड़ती मुफ़लिसी देखी है। 

मैंने देखा उनको ठण्ड से डरते ठिठरते हुए ,
फिर धुंध की चादर में लिपटी मुफ्लिशी देखी है। 

मैंने देखा धूप में तपते बदन को ,
फिर धूप की छाँव में चलती मुफ्लिशी देखी है। 

मैंने देखे सुर्ख लब उखड़े उखड़े से ,
हनी फिर आँखों से टपकती मुफ्लिशी देखी हैं। 


Written by :- Honey A. Dhara
February  02 , 2020
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