मैंने चौखट पर सर पटकती मुफ़लिसी देखी है।
मैंने बच्चो में लड़ती झगड़ती मुफ़लिसी देखी है।
मैंने देखा उनको ठण्ड से डरते ठिठरते हुए ,
फिर धुंध की चादर में लिपटी मुफ्लिशी देखी है।
मैंने देखा धूप में तपते बदन को ,
फिर धूप की छाँव में चलती मुफ्लिशी देखी है।
मैंने देखे सुर्ख लब उखड़े उखड़े से ,
हनी फिर आँखों से टपकती मुफ्लिशी देखी हैं।
Written by :- Honey A. Dhara
February 02 , 2020
February 02 , 2020
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