एक ये भी जुर्म है मेरे फर्दे गुनाह में ।।
दो चार दिन रहा था मैं तुम्हारी निग़ाह में ।।
एक ये भी जुर्म है मेरे फर्दे गुनाह में ।।
दो चार दिन रहा था मैं तुम्हारी निग़ाह में ।।
आंखे झूठ, नजारा झूठ ।।
जो देखा निकला वो सारा झूठ ।।
मुझे तुम आज फिर कहो अपना,
बोलो आज फिर दुबारा झूठ ।।
Written by :- Honey A. Dhara
DOW - May 29, 2018
जवानी को यूं खाली बिताना...
खाली बिताना भी एक समस्या है ।।
लगा लो दिल अगर कहीं तो दिल लगाना...
दिल लगाना भी एक समस्या है ।।
क्यो अडे हो अब तक
तुम मोहब्बत की बात में..!!
अरे वो तो जवान लड़की थी
कह दिया होगा जज्बात में..!!
:- Honey A. dhara
वक़्त के ना जाने कितने,
लम्हो से गुज़रना है मुझे ।।
इस जिंदगी में ना जाने कितने,
तारिको से मरना है मुझे ।।
तेरा गम है कोई या फ़िर दर्द,
रात कटती है कालेजा थाम के ।।
ये चुपके चुपके सिस्किया कौन लेता है,
सब के सन्नाटे का दामन थाम के ।।
आज तक समझा न मेरे दर्द को कोई
ये हमदर्द भी रहे हमदर्द नाम के ।।
गेशु दराज़, मस्त नज़र, और चेहरा आफ़ताब
यार अब कुछ कमी नहीं बची तुम्हारे शबाब में ...
तर्ज़े ज़फा नई नई रंगे...
और सितम नए नए ।।
होते हैं बज्मे नाज़ में...
हम पर करम नए नए ।।