Monday, February 3, 2025

Mann ke Andar

रब कि रज़ा में राजी ।
दुःख दर्द दवा जो मिले
सर झुका, सब कबूल, और हाँ जी, हाँ जी ।।

हर हद, हद से गुज़री,
सारी हदे जाने मेरा मुर्शिद, मौला, काज़ी ।।

मैं चाहे चौला पहन मलंग हुई,
चाहे हवन दस्ती में भस्म हुई ,
मेरे "जी" की किसे परवाह जी ।        * जी = मन

अब जिरह चले समय से,                *जिरह = बहस
क्यों मेरा "जी", हाँ जी
क्यों मेरा "जी" हुआ दूर दराज़ी ।।         *जी = पिया, प्रिय, प्यारा

किसी को मिली मोहब्बत 2 कदम की दूरी पर,
किसी कि उम्र भर का सफर और अबासीन दरिया जी ।।                         *अबासीन = सिंधु नदी (पास्तो मे)

"पी" की खबर सुनकर गद-गद हुई,         * पी = प्रिय,
मैं भागी - दोड़ी, बेसुध, राजी - राजी ।।

बगिया की हूँ काली सी मैं,
आँगना में फिरू साजी - साजी ।।

सांवरे नैन निहारे हर राह जी,
जाने किस राह से गुज़रे मेरे शाह जी ।।

लेखक :- हनी "आवारा"

Wednesday, September 25, 2024

तेरे बाद_किसी को_प्यार से

          देखा नहीं  हमन

   हमें
इश्क का __शौक हैं।
      आवारगी का नहीं 

मान जाओ न अब कि चाँद को चाँद देते हैं
तुम्हे तो पता है यार तुम पर जान देते हैं।

Monday, September 2, 2024

Kisk liye itni baari balidaan de rahe ho

Jo v bol rahe ho bakwaas bol rahe ho..

जो प्यार में डूबा हैं
उसे प्यार ले डूबा हैं,

 इश्क़ सब्र है सौदा नहीं,

हर किसी से होता नहीं...!!

तुम रख़ ना सकोगी "अली" का तोहफ़ा संभाल कर,

वरना "अली" को दे दो रूह जिस्म से निकाल कर..!!

प्यार एक कला है
मत करना मेरी सलाह है

Nadan e dil ko. Samjhana bahut jaruri hai...

Farebi duniya hai hosh me. Aana bahut jaruri hai..

खामोशी से गुजरी जा रही है जिंदगी...
न खुशियो की रोनक... न गमो का  कोई शोर...

ना जाने कोई इंसान किस तरह किसी की यादों में खो जाता है ,
नींद पूरी नही होती और सवेरा हो जाता है ।

 चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है,

वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर का है...

फिर से बिखरने के लिए ख़ुद को संवारा.   है..
एक  कागज़ की कश्ती को फिर  दरिया में उतार  है..

खर्च हो जाते इसी एक मोहब्बत में,

दिल अगर और भी सीने में हमारे होते..

 हिज्र की धूप में छाँव जैसी बातें करते हैं

आँसू भी तो माओं जैसी बातें करते हैं

रस्ता देखने वाली आँखों के अनहोने-ख़्वाब
प्यास में भी दरियाओं जैसी बातें करते हैं

ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं
फिर भी लोग ख़ुदाओं जैसी बातें करते हैं

एक ज़रा सी जोत के बल पर अँधियारों से बैर
पागल दिए हवाओं जैसी बातें करते हैं

रंग से ख़ुशबुओं का नाता टूटता जाता है
फूल से लोग ख़िज़ाओं जैसी बातें करते हैं

हम ने चुप रहने का अहद क्या है और कम-ज़र्फ़
हम से सुख़न-आराओं जैसी बातें करते हैं

 अज़्मे सफ़र हमारा कभी रायगाँ न हो

हम जिसको ढूंढते हैं जहाँ वो वहाँ न हो

शरमा के सुन रहे थे वो क़िस्सा विसाल का
दिल चाहता था ख़त्म कभी दास्ताँ न हो

हर दर्दो ग़म के बाद भी खुश बाश मैं रहूं
लब पर ख़ुदा करे कभी आहो फ़ुगाँ न हो

मैंने बुझा दिया था चराग़ों को इस लिए
ये है शब-ए-विसाल कोई दरमियाँ न हो

ऐसा भी इश्क़ में कहीं होता है ऐ 'असर''
वो चाहता है आग लगे और धुआँ न हो

- अली 'असर' बांदवी 

 शायर हूँ तो गमो से कैसा परहेज ....

 हालात जितने नाज़ुक कलम उतनी तेज.....

 मै तो आबाद ही होता हूं उजड़ने के लिए,

देखें इस बार कौन मिले बिछड़ने के लिए...
Sadik pathan

 इक आदत सी पड़ी है सब ठीक है कहने की,

इक आदत सी पड़ी है सब कुछ ही सहने की...


कुछ इस तरह से हमारी बातें कम हो गई
कैसे हो से शुरू और ठीक हूं पर खत्म हो गई...

दरख़्त ऐ नीम हूं मेरे नाम से घबराहट तो होगी
छांव ठंडी ही दूंगा बेशक पत्तों में कड़वाहट तो होगी

जिंदगी संवारने को तो सारी जिंदगी पड़ी है
अभी बस वो लम्हा संभाल लो जहां जिंदगी खड़ी है...



ख्वाब बोए थे और अकेलापन काटा है,

इस मोहब्बत में यारों बहुत घाटा है...


चलो कि ख़ाक उड़ाएँ चलो शराब पिएँ,
किसी का हिज्र मनाया नहीं बहुत दिन से,,

Bhot maan tha jinpe....
Bhot be_iman nikle vo..💔💔


अब नही होती किसी से भी परेशानी मुझे

कितनी मुश्किल से हुई हासिल ये आसानी मुझे...