Monday, September 2, 2024

 चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है,

वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर का है...

फिर से बिखरने के लिए ख़ुद को संवारा.   है..
एक  कागज़ की कश्ती को फिर  दरिया में उतार  है..

खर्च हो जाते इसी एक मोहब्बत में,

दिल अगर और भी सीने में हमारे होते..

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