चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है,
वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर का है...फिर से बिखरने के लिए ख़ुद को संवारा. है..
एक कागज़ की कश्ती को फिर दरिया में उतार है..
एक कागज़ की कश्ती को फिर दरिया में उतार है..
खर्च हो जाते इसी एक मोहब्बत में,
दिल अगर और भी सीने में हमारे होते..
दिल अगर और भी सीने में हमारे होते..
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