Monday, April 1, 2019

सोच रहा हूँ :- Written by Honey A. dhara

सोच रहा हूँ :-  Written by Honey A. dhara

सोच रहा हूँ अपना ऐसा अंज़ाम कर लूँ 
तेरे इश्क़ में ख़ुद को बदनाम कर लूँ। 
सुना है बड़ी बेख़ौफ़ फिरती है तू इश्क़े बाज़ार में ,
सोच रहा हूँ एक क़त्ल सरेआम कर लूँ। 

हो चाहे देर से मग़र नाज़ तो होगा तुझे ,
सोचता हूँ तेरी बलाये भी अपने नाम कर लूँ। 

जिस तरहा जागता हु में घंटो घंटो रात भर ,
सोच रहा हूँ कोई शाम तेरी अपने नाम कर लूँ। 

चस्मी, नबी, नज़रे केशरी, हुनर तेरे लहदा हैं ,
सोच रहा हूँ दो सांसे तुझे थाम कर लूँ। 

कदे मैकदे, कदे मैख़ाने, कदे ज़माने में ,
सोच रहा हूँ इस शराब को ही तेरा शबाब कर लूँ। 

April 2, 2019
Written by :- Honey A. dhara
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