Friday, August 4, 2023

मैं नहीं को नहीं पढ़ पाता...

काश नहीं को नहीं पढ़ पाता  ।

मैं अक्सर सही को नहीं पढ़ पाता ।।


रोज़ रीझ में नए लेख लिखता हूं, फिर

लिखरियो के अक्षर, अक्सर नहीं पढ़ पाता ।।


बहम की ख्वाहिश है जज्बो का भ्रम रखूं,

फिर इल्म में नहीं को नहीं पढ़ पाता ।।


तहरीर से रिश्तों में पालिश करता हूं, 

मगर नफे नुकसान में हासिल को नहीं पढ़ पाता ।।


हंगामे, किनाफ, ये उलझते मंज़र, 

हनी मैं ऐसे मंज़र को नहीं पढ़ पाता ।।


Written by :- Honey Kumar

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