Tuesday, January 8, 2019

तन्हा - तन्हा फिरता हूँ

   तन्हा -  तन्हा   फिरता हूँ

क्यों जुदा -  जुदा  सा फिरता हूँ !
क्यों खफा - खफा सा फिरता हूँ !
सोचता हूँ कोई वजहा है या ,

बेवजहा सा  फिरता हूँ !

मारा - मारा सा फिरता हु !
जैसे हारा - हारा सा फिरता हु !
यूँ तो नहीं आवारा मै ,
 फिर क्यों आवरा सा फिरता हूँ !

नज़र-नज़र रेत सा रड़कता हु
मंज़र - मज़ार सा फिरता हूँ !
रही कोशिशे नाकाम हर दफ़ा ,
और मै लाचारा सा फिरता हूँ !

कुछेक काम सौक से किया करता हु,
महफ़िलो में तनहा सा फिरता हूँ !
यूँ तो खुशियाँ गुज़ारी सबके साथ ,
बस तन्हाई को तन्हा गुज़ारा करता हूँ !


Jan. 08, 2019
Written by :- Honey A Dhara.

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