तन्हा - तन्हा फिरता हूँ
क्यों जुदा - जुदा सा फिरता हूँ !क्यों खफा - खफा सा फिरता हूँ !
सोचता हूँ कोई वजहा है या ,
बेवजहा सा फिरता हूँ !
मारा - मारा सा फिरता हु !
जैसे हारा - हारा सा फिरता हु !
यूँ तो नहीं आवारा मै ,
फिर क्यों आवरा सा फिरता हूँ !
नज़र-नज़र रेत सा रड़कता हु
मंज़र - मज़ार सा फिरता हूँ !
रही कोशिशे नाकाम हर दफ़ा ,
और मै लाचारा सा फिरता हूँ !
कुछेक काम सौक से किया करता हु,
महफ़िलो में तनहा सा फिरता हूँ !
यूँ तो खुशियाँ गुज़ारी सबके साथ ,
बस तन्हाई को तन्हा गुज़ारा करता हूँ !
Jan. 08, 2019
Written by :- Honey A Dhara.
No comments:
Post a Comment