ज़ात ना देख मेरी।
अग़र आदत डाल लो तुम मेरी रिवायत की।
ज़रूरत नहीं होगी फिर तरबियत की।
इश्क़ में अगर सादगी संग सिद्दत हो,
तो ख़ुद- ब - ख़ुद हो जाएगी आदत चाहत की।
बस हद ना देख मेरी ज़नूनीयत की।
जैसे पूजा सी हो तुम मेरी इबादत की।
जैसे पूजा सी हो तुम मेरी इबादत की।
बस ये काफी हैं मेरे लिए के,
तुम क़दर करो मेरी मुहब्बत की।
तू गौर ना कर मेरी ज़ात की।
ये तो चंद लाइने है अधुरी कागज़ात की।
मत सोचो इतना के मैं निभा पाउँगा या नहीं,
June 22, 2019
Written by :- Honey A. Dhara
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