हजारों मास्क की ख्वाहिश की
हर ख्वाहिश पर दम निकले।
करू जो क्लीन हाथो को तो ,
साबुन हद से कम निकले।
सुना है की जब कोरोना,
तेरे मोहल्ले में आया,
बहुत बेआबरू होकर तेरे
कूचे से हम निकले।
( मिर्ज़ा ग़ालिब द्वितीय )
तुझे आती है खाँसी,
ये बता देती तो अच्छा था।
मेरा तू आईसोलेशन
करा देती तो अच्छा था।
तेरे माथे पे ये आँचल ,
बहुत ही खूब है,
लेकिन इसे कटवा के गर ,
तू मास्क बनवाती तो अच्छा था।
(मज़ाज़ लखनवी तृतीया )
हर ख्वाहिश पर दम निकले।
करू जो क्लीन हाथो को तो ,
साबुन हद से कम निकले।
सुना है की जब कोरोना,
तेरे मोहल्ले में आया,
बहुत बेआबरू होकर तेरे
कूचे से हम निकले।
( मिर्ज़ा ग़ालिब द्वितीय )
तुझे आती है खाँसी,
ये बता देती तो अच्छा था।
मेरा तू आईसोलेशन
करा देती तो अच्छा था।
तेरे माथे पे ये आँचल ,
बहुत ही खूब है,
लेकिन इसे कटवा के गर ,
तू मास्क बनवाती तो अच्छा था।
(मज़ाज़ लखनवी तृतीया )
No comments:
Post a Comment