Friday, March 20, 2020

कोरोना वायरस शायरी

हजारों मास्क की ख्वाहिश की
हर ख्वाहिश पर दम निकले।

करू जो क्लीन हाथो को तो ,
साबुन हद से कम निकले।

सुना है की जब कोरोना,
तेरे मोहल्ले में आया,
बहुत बेआबरू होकर तेरे
कूचे से हम निकले।

( मिर्ज़ा ग़ालिब द्वितीय )

तुझे आती है खाँसी,
ये बता देती तो अच्छा था।

मेरा तू आईसोलेशन
करा देती तो अच्छा था।

तेरे माथे पे ये आँचल ,
बहुत ही खूब है,
लेकिन इसे कटवा के गर ,
तू मास्क बनवाती तो अच्छा था।

(मज़ाज़ लखनवी  तृतीया )

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