जब आयी होली रंग भरी,
सौ नाज़ो अदा से मटक मटक !
और घूँघट के पट खोल दिए,
वह रूप दिखया चमक चमक !
कुछ मुखड़ा करता दमक दमक ,
कुछ अबरन करता झलक झलक !
जब पाँव रखा खुशवक्ती से,
तब पायल बाज़ी झनक झनक !!
कुछ उछले, सैने नाज़ भरे,
कुछ कूदे आहे थिरक थिरक !
यह रूप दिखा कर होली के,
जब नैन रसीले टुक मटके !
मंगवाए थाल गुलालों के,
भर डाले रंगो के मटके !!
फिर सॉंग बहुत तैयार हुए,
और ठाट ख़ुशी के झुरमुटके !
ग़ुल शोर हुए खुशहाली के ,
और नाचने गाने के झटके !
मदरंगे बाज़ी, ताल बजे,
कुछ खनक खनक, कुछ धनक धनक !!
:- अकबरबादी साहब
सौ नाज़ो अदा से मटक मटक !
और घूँघट के पट खोल दिए,
वह रूप दिखया चमक चमक !
कुछ मुखड़ा करता दमक दमक ,
कुछ अबरन करता झलक झलक !
जब पाँव रखा खुशवक्ती से,
तब पायल बाज़ी झनक झनक !!
कुछ उछले, सैने नाज़ भरे,
कुछ कूदे आहे थिरक थिरक !
यह रूप दिखा कर होली के,
जब नैन रसीले टुक मटके !
मंगवाए थाल गुलालों के,
भर डाले रंगो के मटके !!
फिर सॉंग बहुत तैयार हुए,
और ठाट ख़ुशी के झुरमुटके !
ग़ुल शोर हुए खुशहाली के ,
और नाचने गाने के झटके !
मदरंगे बाज़ी, ताल बजे,
कुछ खनक खनक, कुछ धनक धनक !!
:- अकबरबादी साहब
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