Monday, March 9, 2020

जब आयी होली रंग भरी

जब आयी होली रंग भरी,
सौ नाज़ो अदा से मटक मटक !
और घूँघट के पट खोल दिए,
वह रूप दिखया चमक चमक !




कुछ मुखड़ा करता दमक दमक ,
कुछ अबरन करता झलक झलक !
जब पाँव रखा खुशवक्ती से,
तब पायल बाज़ी झनक झनक !!

कुछ उछले, सैने नाज़ भरे,
कुछ कूदे आहे थिरक थिरक !

यह रूप दिखा कर होली के,
जब नैन रसीले टुक मटके !
मंगवाए थाल गुलालों के,
भर डाले रंगो के मटके !!

फिर सॉंग बहुत तैयार हुए,
और ठाट ख़ुशी के झुरमुटके !
ग़ुल शोर हुए खुशहाली के ,
और नाचने गाने के झटके !
मदरंगे बाज़ी, ताल बजे,
कुछ खनक खनक, कुछ धनक धनक !!

:- अकबरबादी साहब 

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