उसके सब नाजो अदा,
सब पहरन, फर्जी निकले !
सिलवानी हो कतरन,
तो जाना पड़ता है,
दुकान से कहाँ, दर्जी निकले !!
हनी एक और भवरॉ फिर,
उसके फरेब में आ गया,
उसके बागीचें के सभी फूल,
फिर से काग़जी निकले !!
और इन झुमको की चमक ,
तेरे कानो में जैसी मैंने सोची वैसी नहीं ,
देखते हैं इनकी क्या मर्जी निकले !!
और जो डाली मैंने चिट्टी,
वो जा पहुंची किसी और पते पर ,
मुमकिन कहा के वापिस वो अर्जी निकले !!
Written by :- Honey A. Dhara
April 14, 2020
April 14, 2020
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