ज़मीं पे चाँद, बताएँ कि कैसे लाकर दें।
यही है अच्छा, कि हम प्यार से मना कर दें ।।
क्या किसी को देखना भी इतना ज़रूरी हैं ।।
बहुत रोया तुम्हारे बिन सुनो इस बार सावन में
चले आओ इधर भी तुम सुनो इस बार सावन में || १
हमारे दिल पे क्या क्या गुजरी, अलामत भूल जाए क्या..!
उदासी, दर्द, रंज और गम, जलालत भूल जाए क्या..!!
महफ़िल में चल रही थीं
हमारे कत्ल की तयारी ।।
हम पहुंचे तो वो बोले
बहुत लंबी उमर है तुम्हारी।।
मैने कभी चाहा नही के..
मुझे कहीं करार मिले...!!
हम जब भी कही मिले...
बेकरार मिले ...!!
तेरी फेंकी हुई चीज़े मुझे हजारों में मिलती हैं।।
तेरे बाद क्लास में उनकी नीलामी जो लगती हैं।।
तुम बेवफा हो तुमसे ही मुलाकात करेंगे।
शायाने इश्क जो न हो वो ही बात करेंगे ।।
रूश्वा जनुने शौक के जज्बात करेंगे ।।
जिक्र उस जफा शियार का दिन रात करेगें।।
A. सहनी
अर्ज के मतलब को भी गीला समझते हैं ।
क्या कहा मैंने वो क्या समझते हैं ।।
सरे साहिल डूबो दिया हमको...
तुझे ऐ नाखुदा हम खुदा समझते हैं ।।