अदा है ख़्वाब है तस्कीन है तमाशा है
हमारी आँख में इक शख़्स बे-तहाशा है
तुम्हारा बोलता चेहरा पलक से छू छू कर
ये रात आईना की है ये दिन तराशा है
जितना क़रीब जा रहा हूँ मैं अब, उलझता जा रहा हूँ,
प्रिय तुम्हारे दिल के उस गलियारे में घुमाव ज़्यादा है !
मुझे पता भी न चला तो ख़फ़ा भी हो गई हो क्योंकि,
लगता है ख़फ़ायगी की तरफ़ तेरा खिंचाव ज़्यादा है !
साथ चलना है अहमद को मगर तेरे तरफ़ से ही मनाही है,
ऐ इश्क़ लग रहा है कि तुझ में अब ठहराव ज़्यादा है !
लड़खड़ाते हुए क़दम हमारे गवाही दे रहे हैं राहों का,
इश्क़ की मंज़िल की राहों में उतार-चढ़ाव ज़्यादा है !
समझता ही नहीं वो सख़्श अल्फ़ाज़ की गहराई को,
मैने हर वो लफ्ज़ कह दिया जिस में मोहब्बत हो..!!
मेरे तल्ख लफ़्ज़ों पर तुम यूं रूठा ना करो
यूं गैरो से मिल कर मुझे तड़पाया ना करो
Kitni mushkil ke baad tuta hai....!
Ek esa rishta_jo kbhi tha hi nhi....!!
मैं सीधा साधा वनवासी लक्ष्मण हूँ,
तुम मेरे पीछे पड़ी हुई सूर्पनखा प्रिय !
वही पता वही गली वही दरवाज़ा लेकिन।
अपना ही घर मुझे अजनबी सा देखता है।
तेरे गली मे आके खो गये है दोनो
मै दिल को ढूंढता हु दिल तुम्हे
"ज़रा ज़रा समेट कर बनाया है मैंने खुद को"
"मुझसे ये मत कहना मिलेंगे तुम जैसे बहुत"
लहजे समझ आते हैं मुझे,
बस लोगों को शर्मिन्दा करना अच्छा नहीं लगता..!!
कुछ लोग मेरी ज़िंदगी में ख़ुशबू की तरह है,
रोज़ महसूस तो होते हैं पर दिखाई नही देते..!!
क़तरा क़तरा मेरे हलक़ को.....तर करती है..
मेरी रग रग में उसकी मोहब्बत सफ़र करती है..!!
सुनो ना...
आपका साथ जब से हमनें पाया है...!!
खुद को बेहद खुशनसीब पाया है...!!
हमने जाना तो हमने ये जाना...;
जो नहीं है वो खूबसूरत है!
𝘐𝘻𝘩𝘢𝘢𝘳 𝘱𝘦𝘳 𝘣𝘩𝘢𝘳𝘪 𝘩𝘢𝘪 𝘬𝘩𝘢𝘮𝘰𝘴𝘩𝘪 𝘬𝘢 𝘵𝘢𝘬𝘢𝘭𝘭𝘶𝘮__
𝘏𝘶𝘳𝘧𝘰 𝘬𝘪 𝘻𝘶𝘣𝘢𝘯 𝘖𝘳 𝘩𝘢𝘪, 𝘢𝘯𝘬𝘩𝘰 𝘬𝘪 𝘻𝘶𝘣𝘢𝘯 𝘰𝘳___
𝘋𝘶𝘬𝘩 𝘣𝘪𝘤𝘩𝘢𝘥𝘯𝘦 𝘬𝘢 𝘮𝘢𝘪 𝘬𝘳𝘵𝘪 𝘣𝘩𝘪 𝘵𝘰 𝘬𝘢𝘪𝘴𝘦 𝘬𝘳𝘵𝘪_
𝘑𝘢𝘯𝘦 𝘸𝘢𝘭𝘦 𝘯𝘦 𝘮𝘶𝘫𝘩𝘦 𝘱𝘩𝘭𝘦 𝘣𝘵𝘢𝘺𝘢 𝘩𝘶𝘢 𝘵𝘩𝘢____
आइए महसूस करिए ज़िन्दगी के ताप को
मैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आपको
जिस गली में भुखमरी की यातना से ऊब कर
मर गई फुलिया बिचारी एक कुएँ में डूब कर
फिर हर तरफ उन, निगाहों से देख लेती हैं
लड़किया शातिर है, किताबों से, देख लेती है
कितने काटो पर चलो, ये फर्क बाद में है,
तुम कितने प्यारे हो, गुलाबों से देख लेती है
फिर ये डरती है समाज की बेढंग बातों से,
कल उन पे गुजरे, हालातों से देख लेती है
जिंदगी भर या जिंदगी बनकर रहोगे तुम,
ये शातिर, चंद मुलाकातों से देख लेती है
तुम्हारे अंदर झांकने की इक कोशिश उनकी,
और तुम्हारी शराफत, उन बातों से देख लेती है
ये सफाई देना ना देना तुम्हारी मर्जी है विकराल,
लड़का दिल से सच्चा है, ये जज्बातों से देख लेती है