फिर हर तरफ उन, निगाहों से देख लेती हैं
लड़किया शातिर है, किताबों से, देख लेती है
कितने काटो पर चलो, ये फर्क बाद में है,
तुम कितने प्यारे हो, गुलाबों से देख लेती है
फिर ये डरती है समाज की बेढंग बातों से,
कल उन पे गुजरे, हालातों से देख लेती है
जिंदगी भर या जिंदगी बनकर रहोगे तुम,
ये शातिर, चंद मुलाकातों से देख लेती है
तुम्हारे अंदर झांकने की इक कोशिश उनकी,
और तुम्हारी शराफत, उन बातों से देख लेती है
ये सफाई देना ना देना तुम्हारी मर्जी है विकराल,
लड़का दिल से सच्चा है, ये जज्बातों से देख लेती है
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