वक़्त पर वक़्त की घडी ऐसे मुकर गयी
न खौफ था किसी का, और हद कर गयी !
तेज़ सर सर सांसे और कम्पन आवाज़ में ,
बावज़ूद इसके मेरी ज़ुबाँ हद कर गयी !
खूब बिलखा तड़पा रोया में
उस लम्हे में खोकर, ना कुछ पाया में !
टूटे रिश्ते जोडू में, कैसे किसको रोकू में ,
तब पता चला के ज़िन्दगी देर कर गयी !
मेरे मुरो की जा निकल गयी
धीरे धीरे बाहे सुन्न पड़ गयी !
उस लम्हे की तफरीन जिसमे अदब कायदे भुला में ,
और वही कोई बात मेरी, किसी को खल गयी !
तबदीली रूह ने दे कर के
ये एहसास दिलाया के !
दम निकला नहीं ,
और साँसे दगा कर गयी !
Dec. 14, 2018
Written by Honey A Dhara.
honeyadhara.blogspot.com
न खौफ था किसी का, और हद कर गयी !
तेज़ सर सर सांसे और कम्पन आवाज़ में ,
बावज़ूद इसके मेरी ज़ुबाँ हद कर गयी !
खूब बिलखा तड़पा रोया में
उस लम्हे में खोकर, ना कुछ पाया में !
टूटे रिश्ते जोडू में, कैसे किसको रोकू में ,
तब पता चला के ज़िन्दगी देर कर गयी !
मेरे मुरो की जा निकल गयी
धीरे धीरे बाहे सुन्न पड़ गयी !
उस लम्हे की तफरीन जिसमे अदब कायदे भुला में ,
और वही कोई बात मेरी, किसी को खल गयी !
तबदीली रूह ने दे कर के
ये एहसास दिलाया के !
दम निकला नहीं ,
और साँसे दगा कर गयी !
Dec. 14, 2018
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