Sunday, December 29, 2019

आज काला जोड़ा पा, सड्डी फेरमेश ते। #Attulaah_khan

आज काला जोड़ा पा, सड्डी फेरमेश ते।
जरा पा के सामणे बा , सड्डी फेरमेश ते।


नी तू अप्णियै मन बेंदा है मैं कमली दा तू चंद सोहणा।
तेन्नु वेख वेख के जिन्दा हा, मेरी एक फरमाइस तो मन सोहणा

ये रंग कदे नई पाया।
ते पा के नयी आजमाया।
आज काला जोड़ा पा, सड्डी फेरमेश ते।
जरा पा के सामणे बा , सड्डी फेरमेश ते।


भूरिया भूरिया जुल्फा, अंख सुर्मिली भोला।
तेक्को आपस लग सी, बहुत पडीली ढोला।
 थोड़ा थोड़ा सुरमा पा, इस छान कु भी सरमा,
आज कला जोड़ा पा सड्डी फेरमेश ते।
जरा पा के सामणे आ , सड्डी फेरमेश ते।

असलो आप जे सोहणे, जेहिजो कपडे पावे।
मत वि सोहणा लगदा हार सिंगार न लावे।
देख एक वारी आज़मा, बहुत मिन्ता ना करवा।
आज काला जोड़ा पा, सड्डी फेरमेश ते।
जरा पा के सामणे आ , सड्डी फेरमेश ते।

पल विच दिल कढ़ घिन दे खबरा लग्गण न देवे।
मुखड़े ते टिल काला नज़रा लगण ना देवे।
आज नज़रा यार मिला। एक पल ना अंख चुमका।
आज काला जोड़ा पा, सड्डी फेरमेश ते।
जरा पा के सामणे आ , सड्डी फेरमेश ते।

टीच बटणा दी जोड़ी वह वाह ढोले लाये।
काले रंग दे कपडे ते नहीं अज तक पाए।
जीवण दा मान वादा आ हस के सिंने ला।
आज काला जोड़ा पा, सड्डी फेरमेश ते।
जरा पा के सामणे आ , सड्डी फेरमेश ते।

ये रंग किते नई पाया।
ते पा के नयी आजमाया।
आज काला जोड़ा पा, सड्डी फेरमेश ते।
जरा पा के सामणे आ , सड्डी फेरमेश ते। . . .3

                                        Written and sung by :- अत्तुलाह खान  Attulaah Khan







No comments: