बिना मंजिल के घर से निकला हूँ,
किधर जाऊँगा मैं।
तेज़ हवाएं, सर सर साँसे
ऐसे तो बिख़र जाऊँगा मैं।
और चौखट टूटी, दर बंद पड़ा हैं,
आँगन पुकारेगा जिधर जाऊँगा मैं।
और मैं बहते दरिया में हूँ ,
छत का कोई आसरा नहीं है.
यार ऐसे तो मर जाऊँगा मैं।
Written by :- Honey A. Dhara
December 27 , 2019
December 27 , 2019
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