Monday, August 15, 2022

जिंदगी कहना पड़ा...

 रंज और गम को ज़िन्दगी कहना पड़ा ।

जुल्म की रात को रोशनी कहना पड़ा ।।


दोस्तो की दुश्मनी का जब खुला मुझ पर भरम,

दुश्मनों की दुश्मनी को दोस्ती कहना पड़ा ।।


इसे रोब कहीय, हुस्न कहिए, या तकाजा ऐ मोहब्बत,

हमसे उसने जो चाहा हमे वो ही कहना पड़ा ।।


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