Wednesday, August 10, 2022

महबूब की गली...

 बात निकल है तो बात चली होगी।
शायद कुछ ख़ास महबूब की गली होगी।।

दर्द, जुदाई, दबा के सीने में,
उदास सी सुनहरी शाम ढली होगी।।

खूब हस रहा है तू भरी महफिल में,
लगता है अरमानों की होली जली होगी।।

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