Friday, December 9, 2022

 गीले बहुत थे मगर बार बार क्या करते..!!

तेरी ही ज़फ़ा पे तुझे शर्सार क्या करते ...!!

Tuesday, December 6, 2022

गर्मी पर आ गयी हैं

 गर्मी पर आ गयी हैं नज़र चस्मे यार की ।

तक़दीर लड़ गयी है दिल दाग दार की ।।


मज़बूरिया हयात की, सबर आजमा नहीं,

लग जाती है कभी नज़र भी इख़्तेयार की ।।


शर्मिंदा और गुन्हा की इज़त न पूछिये,

शर्मिंदगी से बनी बात फिर शर्मशार की ।।


सागर छलक उठेंगा अभी महताब का,

हसरत से ताक रही नज़र मयगुसार की ।।

 छोड़ दे ऐ दिल...

मुहब्बत का ख्याल अच्छा नहीं ||

काम अच्छा है मगर...

मुहब्बत का मलाल अच्छा नहीं ||

Friday, September 30, 2022

खुद को कैसे सितारा करें

 तुझको रोशन रखे और उजाला करे ।

किस तरह हम खुद को सितारा करें ।।

कहने वाले तो ये भी कहते है,

हम मोहब्बत नहीं दिखावा करें ।।


फिक्र जिसको नहीं हमारी कोई,

किस लिए फिर उसको हम पुकारा करे ।


जब नहीं बना सादगी से काम 

हम ने खुद को कहा दिखावा करे ।


उनसे रखना ही क्यों तवक्वो कोई,

अपना मुश्किल से जो गुजारा करें ।।

Friday, September 23, 2022

ज़िन्दगी P। 25

मैं तेरी ज़िन्दगी से कुछ यूं चला जाऊंगा मेरी जान...

जैसे हादसों में जान चली जाया करती हैं....!!

Thursday, September 22, 2022

 अगर ये जीवन मेरे बस में होता...

कसम खुदा की...

तेरे इंतजार में सदियां गुज़ार देते हम...

 मेरे पास मेरा अपना कुछ नही था ,,,

रही बात तुम्हारी,,,

तू भी तो किसी और की थी...!!

ये आंशुओ की जकात आखिर मुझ पर ही क्यों है...

तू भी कुछ अदा कर, मोहब्बत तो तुझे भी थीं ...!

 उसके किए ये रोज़ का खेल हैं...

एक दो बातो में दो चार को अपना बना लेना

 ये चांद, सितारे, रात, मोहब्बत, मोसम सब तुम्हारे...

मगर जो हवा तुझे छू ले वो मेरी होंगी...!!!

 हवाओ के सुपुर्द रखे हुए चिराग़ थे.. 

जो बूझ गए हो तो दोष किनका...

 कभी कैफ का अवतार हूं, कभी शौंक से भरा हूं ।।

खुदा जानें किस का दर्द हूं किस की चाहत हूं ।।


Tuesday, September 13, 2022

  1. Topics to write...
  2.  जिंदगी याद का खंडहर लगे
  3. बेवजह रोने लगता हूं कभी कभी
  4. मेरी उदासी से फर्क पड़े 
  5. मुझे खुद पर इस कदर तरस आता हैं 

 याद तू आया ओय हनी

हम जहां भी गए...

भूलने तुझ को बता

हम कहा नहीं गए...

Honey Awara Shayar

बिछड़े भी नहीं ।

मिले भी नहीं ।।

अजीब फूल थे

जो खिले भी नहीं ।।


 कहनी लिखते हुऐ,

दास्तान सुनाते हुए,

वो सो गया हनी मुझे

ख्वाब से जगाते हुए 

मेरी डायरी से P 22

कुछ चीज़े टूटी हुई अच्छी लगती हैं...

ओय आवरा जैसे तेरी खामोशी...

ज़िन्दगी P 20

ना कलमा याद आता हैं..

ना दिल लगता है ननाज़ो में एक बार..!!

कुफर बना दिया हैं हम सबको..

महज़ दो दिन की मोहब्बत ने यार..!!

Meri dayri se

 हम तो मोहब्बत ऐ अदब के पाबंद है यार,

हमे नहीं आती किसी इंसान से नफरत करना..।।

Sunday, September 4, 2022

 ना रख उम्मीद के वो आयेगा

अंजान शहर के पराए लोगो में कोन अपना।।


फांकों से तंग आ कर अंगूठी भी बेच दी हमने..

गुरबत का सांप तेरी निशानी भी निगल गया ।।

 मुझ को चाहते अगर तो मुझ को पाते तुम..

मगर मुझको हर रोज परख कर गवाया तुमने ।।

 शायर होने का नुकसान भी खूब हुआ।।

हमे कहा मोहब्बत है..

उसने वाह वाह कह दिया

 इतना बता दी दो मै कैसे साबित करु

के तुम बहुत याद आते हों

शायरी तुम समझते नहीं और

 उदासी हमे आती नहीं 

 उसने पूछा क्या पसंद है तुम्हे..

मैं बस एक टक उसे देखता रहा

 सबने पकड़ी राह अपनी अपनी मंजिल की...

और एक हम थे जो तेरा रास्ता देखते रह गए...

 ना वो सूरत दिखाते है ना मिलते है गले आकर


ना आंखे शाद होती है ना दिल मसरूर होता हैं ।।

 मोहब्बत तो सच ही है मुर्शद...।।

बस कुछ लोग झूठे निकल जाते हैं ।।

तुम्हारे बग़ैर हाल कुछ ऐसा हैं ।।

जैसे कोई पढ़ा लिखा नौजवान बेरोजगार बैठा हो

Saturday, September 3, 2022

तुम क्या जानो...

अक़्ल हमारी मारी है तुम क्या जानो ।
ख़ुद से जंग ही जारी है तुम क्या जानो ।।

आज का दिन भी सारा गुज़रा रो रो कर
आज की रात भी भारी है तुम क्या जानो ।।

Wednesday, August 31, 2022

 

अपनी मायूस उमंगों का फ़साना न सुना,

मेरी नाकाम मोहब्बत की कहानी मत छेड़

 

तुम्हे उदास सी पाता हूं मैं कई दिन से,

न जाने कौन से सदमे उठा रही हो तुम?

वो शोखियां वो तबस्सुम वो कहकहे न रहे
हर एक चीज को हसरत से देखती हो तुम।

 

मुझमे क्या देखा की तुम उल्फत का दम भरने लगी

मैं तो खुद अपने भी कोई काम आ सकता नहीं

तुम मेरी होकर भी बेगाना ही पाओगी मुझे
मैं तुम्हारा होकर भी तुम में समा सकता नहीं




Sahir ludhiyanvi

 

6. नज़रे-कालिज

ऐ सरज़मीन-ए-पाक़ के यारां-ए-नेक नाम
बा-सद-खलूस शायर-ए-आवारा का सलाम

ऐ वादी-ए-जमील मेंरे दिल की धडकनें
आदाब कह रही हैं तेरी बारगाह में

 

मुसव्विर मैं तेरा शाहकार वापस करने आया हूं

अब इन रंगीन रुख़सारों में थोड़ी ज़िदर्यां भर दे
हिजाब आलूद नज़रों में ज़रा बेबाकियां भर दे
लबों की भीगी भीगी सिलवटों को मुज़महिल कर दे

 

4. यकसूई

अहदे-गुमगश्ता की तस्वीर दिखाती क्यों हो?
एक आवारा-ए-मंजिल को सताती क्यों हो?

वो हसीं अहद जो शर्मिन्दा-ए-ईफा न हुआ
उस हसीं अहद का मफहूम जलाती क्यों हो?

ज़िन्दगी शोला-ए-बेबाक बना लो अपनी
खुद को खाकस्तरे-खामोश बनाती क्यों हो?

मैं तसव्वुफ़ के मराहिल का नहीं हूँ कायल
मेरी तस्वीर पे तुम फूल चढ़ाती क्यों हो

कौन कहता है की आहें हैं मसाइब का इलाज़
जान को अपनी अबस रोग लगाती क्यों हो?

एक सरकश से मुहब्बत की तमन्ना रखकर
खुद को आईने के फंदे में फंसाती क्यों हो?

मै समझता हूँ तकद्दुस को तमद्दुन का फरेब
तुम रसूमात को ईमान बनती क्यों हो?

जब तुम्हे मुझसे जियादा है जमाने का ख़याल
फिर मेरी याद में यूँ अश्क बहाती क्यों हो?

तुममे हिम्मत है तो दुनिया से बगावत कर लो
वरना माँ बाप जहां कहते हैं शादी कर लो

 

अंधियारी रात के आँगन में ये सुबह के कदमों की आहट

ये भीगी-भीगी सर्द हवा, ये हल्की हल्की धुन्धलाहट

गाडी में हूँ तनहा महवे-सफ़र और नींद नहीं है आँखों में
भूले बिसरे रूमानों के ख्वाबों की जमीं है आँखों में

अगले दिन हाँथ हिलाते हैं, पिचली पीतें याद आती हैं
गुमगश्ता खुशियाँ आँखों में आंसू बनकर लहराती हैं

सीने के वीरां गोशों में, एक टीस-सी करवट लेती है
नाकाम उमंगें रोती हैं उम्मीद सहारे देती है

वो राहें ज़हन में घूमती हैं जिन राहों से आज आया हूँ
कितनी उम्मीद से पहुंचा था, कितनी मायूसी लाया हूँ

 

1. रद्दे-अमल

चन्द कलियाँ निशात की चुनकर
मुद्दतों महवे-यास रहता हूँ
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझ से मिलकर उदास रहता हूँ

Sahir ludhiyanvi

 

42. तेरी आवाज़

रात सुनसान थी, बोझल थी फज़ा की साँसें
रूह पे छाये थे बेनाम ग़मों के साए
दिल को ये ज़िद थी कि तू आए तसल्ली देने
मेरी कोशिश थी कि कमबख़्त को नींद आ जाए


देर तक आंखों में चुभती रही तारों की चमक
देर तक ज़हन सुलगता रहा तन्हाई में
अपने ठुकराए हुए दोस्त की पुरसिश के लिए
तू न आई मगर इस रात की पहनाई में

यूँ अचानक तेरी आवाज़ कहीं से आई
जैसे परबत का जिगर चीर के झरना फूटे
या ज़मीनों की मुहब्बत में तड़प कर नागाह
आसमानों से कोई शोख़ सितारा टूटे

शहद सा घुल गया तल्ख़ाबा-ए-तन्हाई में
रंग सा फैल गया दिल के सियहखा़ने में
देर तक यूँ तेरी मस्ताना सदायें गूंजीं
जिस तरह फूल चटखने लगें वीराने में

तू बहुत दूर किसी अंजुमन-ए-नाज़ में थी
फिर भी महसूस किया मैं ने कि तू आई है
और नग़्मों में छुपा कर मेरे खोये हुए ख़्वाब
मेरी रूठी हुई नींदों को मना लाई है

रात की सतह पे उभरे तेरे चेहरे के नुक़ूश
वही चुपचाप सी आँखें वही सादा सी नज़र
वही ढलका हुआ आँचल वही रफ़्तार का ख़म
वही रह रह के लचकता हुआ नाज़ुक पैकर

तू मेरे पास न थी फिर भी सहर होने तक
तेरा हर साँस मेरे जिस्म को छू कर गुज़रा
क़तरा क़तरा तेरे दीदार की शबनम टपकी
लम्हा लम्हा तेरी ख़ुशबू से मुअत्तर गुज़रा

अब यही है तुझे मंज़ूर तो ऐ जान-ए-बहार
मैं तेरी राह न देखूँगा सियाह रातों में
ढूंढ लेंगी मेरी तरसी हुई नज़रें तुझ को
नग़्मा-ओ-शेर की उभरी हुई बरसातों में

अब तेरा प्यार सताएगा तो मेरी हस्ती
तेरी मस्ती भरी आवाज़ में ढल जायेगी
और ये रूह जो तेरे लिए बेचैन सी है
गीत बन कर तेरे होठों पे मचल जायेगी

तेरे नग़्मात तेरे हुस्न की ठंडक लेकर
मेरे तपते हुए माहौल में आ जायेंगे
चाँद घड़ियों के लिए हो कि हमेशा के लिए
मेरी जागी हुई रातों को सुला जायेंगे

Sahir ludhiyanvi

 

29. एक तस्वीरे-रंग

मैं ने जिस वक़्त तुझे पहले-पहल देखा था
तू जवानी का कोई ख़्वाब नज़र आई थी
हुस्न का नग़्म-ए-जावेद हुई थी मालूम
इश्क़ का जज़्बा-ए-बेताब नज़र आई थी

ऐ तरब-ज़ार जवानी की परेशाँ तितली
तू भी इक बू-ए-गिरफ़्तार है मालूम न था
तेरे जल्वों में बहारें नज़र आती थीं मुझे
तू सितम-ख़ुर्दा-ए-इदबार है मालूम न था

तेरे नाज़ुक से परों पर ये ज़र-ओ-सीम का बोझ
तेरी परवाज़ को आज़ाद न होने देगा
तू ने राहत की तमन्ना में जो ग़म पाला है
वो तिरी रूह को आबाद न होने देगा

तू ने सरमाए की छाँव में पनपने के लिए
अपने दिल अपनी मोहब्बत का लहू बेचा है
दिन की तज़ईन-ए-फ़सुर्दा का असासा ले कर
शोख़ रातों की मसर्रत का लहू बेचा है

ज़ख़्म-ख़ुर्दा हैं तख़य्युल की उड़ानें तेरी
तेरे गीतों में तिरी रूह के ग़म पलते हैं
सुर्मगीं आँखों में यूँ हसरतें लौ देती हैं
जैसे वीरान मज़ारों पे दिए जुलते हैं

इस से क्या फ़ाएदा रंगीन लिबादों के तले
रूह जलती रहे घुलती रहे पज़मुर्दा रहे
होंट हँसते हों दिखावे के तबस्सुम के लिए
दिल ग़म-ए-ज़ीस्त से बोझल रहे आज़ुर्दा रहे

दिल की तस्कीं भी है आसाइश-ए-हस्ती की दलील
ज़िंदगी सिर्फ़ ज़र-ओ-सीम का पैमाना नहीं
ज़ीस्त एहसास भी है शौक़ भी है दर्द भी है
सिर्फ़ अन्फ़ास की तरतीब का अफ़्साना नहीं

उम्र भर रेंगते रहने से कहीं बेहतर है
एक लम्हा जो तिरी रूह में वुसअत भर दे
एक लम्हा जो तिरे गीत को शोख़ी दे दे
एक लम्हा जो तिरी लय में मसर्रत भर दे

Sahir ludhiyanvi

 

मेरे नग़्मे भी मिरे पास नहीं रह सकते

तेरे जल्वे किसी ज़रदार की मीरास सही
तेरे ख़ाके भी मिरे पास नहीं रह सकते

Sahir ludhiyanvi

 

ये चमनज़ार ये जमुना का किनारा ये महल

ये मुनक़्क़श दर-ओ-दीवार, ये महराब ये ताक़

इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर
हम ग़रीबों की मुहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़


Sahir ludhiyanvi - chanke

 

सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं

तअफ़्फ़ुन से पुर नीम-रौशन ये गलियाँ
ये मसली हुई अध खिली ज़र्द कलियाँ
ये बिकती हुई खोखली रंग-रलियाँ
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं
वो उजले दरीचों में पायल की छन छन
तनफ़्फ़ुस की उलझन पे तबले की धन धन
ये बे-रूह कमरों में खाँसी की ठन ठन
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं
ये गूँजे हुए क़हक़हे रास्तों पर
ये चारों तरफ़ भीड़ सी खिड़कियों पर
ये आवाज़े खिंचते हुए आँचलों पर
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं
ये फूलों के गजरे ये पीकों के छींटे
ये बेबाक नज़रें ये गुस्ताख़ फ़िक़रे
ये ढलके बदन और ये मदक़ूक़ चेहरे
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं
ये भूकी निगाहें हसीनों की जानिब
ये बढ़ते हुए हाथ सीनों की जानिब
लपकते हुए पाँव ज़ीनों की जानिब
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं









 

ये पुर-पेच गलियाँ ये बे-ख़्वाब बाज़ार

ये गुमनाम राही ये सिक्कों की झंकार
ये इस्मत के सौदे ये सौदों पे तकरार

Sahir ludhiyanvi 




 https://www.hindi-kavita.com/HindiTalkhiyanSahirLudhianvi.php#Talkhiyan54


Sahir ludhiyanvi talkhiyan poetry link above 

 

अपनी मायूस उमंगों का फ़साना न सुना,

मेरी नाकाम मोहब्बत की कहानी मत छेड़

sahir ludhiyanvi 



Wednesday, August 17, 2022

में बन जाऊंगा कण कोई फलक में,

तुम चांद देखना हम ज़मीन देखेंगे ।।


फिर देखोगी तुम मुझे ताज़्जुब भरी नज़रों से,

और हम तुझे होते गमगीन देखेंगे ।।


जो रखते है ईश्वर पर, और खुदा पे भरोसा,

हनी वो बंदे अंधेरों में भी महरीन देखेंगे ।।

मंज़र हसीन देखेंगे...

ज़िन्दगी में कभी मंज़र हसीन देखेंगे ।
खुशी को घर में होते मकीन देखेंगे ।।

Monday, August 15, 2022

जिंदगी कहना पड़ा...

 रंज और गम को ज़िन्दगी कहना पड़ा ।

जुल्म की रात को रोशनी कहना पड़ा ।।

आज़ाद होता हैं

कही मंसूर होता है कही फरहाद होता हैं ।।

कैद ऐ मोहब्बत से हनी कोई कहा आजाद होता हैं।

मेरी डायरी से P 15

ना जाने ये किसकी याद आ गई ..।।
जो मेरे लहू, जिगर, दिल गरमा गई..।।

मशला...

 मुझसे कोई मशला हैं तो मुझसे बोल ।

हनी भैद सारे मेरे सुपुर्द खोल ।।


बेवजह यूं तकरार से की फायदा,

नज़ाकत को नशीहत से मत तोल ।।

Sunday, August 14, 2022

ज़िन्दगी P 16

 वही ये आंसू सारे, वही ये माजी के किस्से सारे,,,

जिसे देखो वो ही मारे हुए को मारे जाते ....।।

ज़िन्दगी P 15

 वो लोग किस दर्द से गुज़रे होंगे...।।

जिनके हमदर्द अपने वादे से मुकरे होंगे...।।

मेरी डायरी से पी 14

 खूब जमेगा रंग जब मिल बैठेंगे हम दोनों

कातिल आदये तेरी, उसपे आशिक मिजाज़ मेरा



Saturday, August 13, 2022

जिंदगी P 14

 तेरी यादों के नशे में चूर हो रहा हूं ।।

लिखता हूं तुझे और मशहूर हो रहा हूं।।


मेरी डायरी से P 12

 हवा ओढनिया से हांक दे न !!

तनिक इक बेर खिड़की से झांक दे न !!

Wednesday, August 10, 2022

महबूब की गली...

 बात निकल है तो बात चली होगी।
शायद कुछ ख़ास महबूब की गली होगी।।

दर्द, जुदाई, दबा के सीने में,
उदास सी सुनहरी शाम ढली होगी।।

खूब हस रहा है तू भरी महफिल में,
लगता है अरमानों की होली जली होगी।।

ज़िन्दगी P 13

 आज को रात फिर दर्द दिल में हुआ हैं..!!

काम आई नहीं कोई दावा या दुआ हैं..!!

तेरे बगैर...

तेरी याद के सिवा कोई काम नहीं।
दिले बीमार को अब आराम नहीं।।

Tuesday, August 2, 2022

ज़िन्दगी P 12

 पूछता नहीं अब कोई तेरे इस दीवाने को..!!

तू भी मिलता हैं तो बस

मिलता है कसम खाने को ...!!

Monday, August 1, 2022

मेरी डायरी से

गुमशुदा हो में आज कल खुद से

देखो ज़रा कही मैं तुम्हारे पास तो नहीं??



Sunday, July 31, 2022

बेवफ़ा कर दे

 ज़मीं पे चाँद, बताएँ कि कैसे लाकर दें।

यही है अच्छा, कि हम प्यार से मना कर दें ।।

जिंदगी.. P 11

 मेरे ख्याल से...

अब हम तेरे ख्याल से भी गए..!!!

मेरी डायरी से

मैं उसे देखता रहा वो मुझे देखते रहे...
मैं जागता रह गया वो मेरी आगोश में सो गए ।।

क्यों ना अब बेफिक्र होकर सोया जाए ..!!
अब बचा ही क्या है जिसे खोया जाए...!!

मेरी डायरी से P 10

 सितम तो इतने है की..

चाय ना होती अगर तो

पक्का शराबी होते...!!


ज़िन्दगी P 10

मेरे चाहने वालों को, मेरे टूटे दिल की ख़बर हैं ।।
पर तुझे ख़बर नहीं होंगी ये पक्की खबर हैं ।।

Saturday, July 30, 2022

जरूरी है

 खामोश रहना है या बोलना ज़रूरी है ।
हमारे दरमेया कोई फैसला जरूरी है ।।

तमाम उम्र जिसे देख भी नहीं पाए,
क्या तमाम उम्र उसे सोचना ज़रूरी है ।।

उसी के चेहरे पर हमारी आंखें रह जाए,

क्या किसी को देखना भी इतना ज़रूरी हैं ।।

और ही कुछ हैं

 इक सहर नहीं हुस्न तेरा और ही कुछ हैं।।

ये नाज़, ये गमज़ा, ये अदा और ही कुछ हैं।।

Friday, July 29, 2022

जिंदगी P 10

 सारा आलम "हूं" का हैं !!

झगड़ा "मैं" और "तू" का हैं !!

देख dekh

 




जिंदगी P ९

देनी हैं तो दीजिए रूह तोफै मै...
जिस्म तो तेरा भी खाक हैं
मेरा भी खाक है...!!

सुनो इस बार सावन में

बहुत रोया तुम्हारे बिन सुनो इस बार सावन में

चले आओ इधर भी तुम सुनो इस बार सावन में || १

Thursday, July 28, 2022

मेरी डायरी से P 8

क्लास इतिहास की हो और मैं सो जाऊं।।
ऐ हुस्न तेरी याद में मैं कुछ यूं खो जाऊं।।

जिंदगी P 8

 दो वक्त की रोटी ...

और ये समाज की खरी खोटी ...

वक्त से पहले इंसान बनाती हैं....!

जिंदगी P ७

देखा उसे कुछ ही पल हो...
मगर याद वो उम्र भर हो ...

भूल जाए क्या...??

 हमारे दिल पे क्या क्या गुजरी, अलामत भूल जाए क्या..!

उदासी, दर्द, रंज और गम, जलालत भूल जाए क्या..!!

Wednesday, July 27, 2022

जिंदगी P 6

 महफ़िल में चल रही थीं

हमारे कत्ल की तयारी ।।

हम पहुंचे तो वो बोले

बहुत लंबी उमर है तुम्हारी।।

मेरी डायरी से P 7

 मेरा दिल तमन्नाओं से खेल रहा हैं...

जीत मुमकिन नहीं...

और हार मंज़ूर नहीं ..!!

#_इश्क़

सांस लेने पर भी एक सजा आई हैं ।।
मौत का मौसम हैं नई वफा आई हैं।।

जान नहीं छोड़ती जान जाने तक,
ऐ इश्क तेरे टक्कर की बला आई हैं।।

Thursday, July 21, 2022

मेरी डायरी से P ६

 मैने कभी चाहा नही के..

मुझे कहीं करार मिले...!!

हम जब भी कही मिले...

बेकरार मिले ...!!

 रहने दो इन आंखों को सुर्ख लाल और नशीली सी...

वो ख्वाब है अगर तो देखने से ही गुजरेगा..।।

मेरी डायरी से

 नींद में भी गिरते हैं आंखों से आंसु..

तुम ख्वाब में भी मेरा साथ छोड़ देते हो...।।

मेरी डायरी से...

 तेरी फेंकी हुई चीज़े मुझे हजारों में मिलती हैं।।

तेरे बाद क्लास में उनकी नीलामी जो लगती हैं।।

ज़िन्दगी P५

 

तुम बेवफा हो तुमसे ही मुलाकात करेंगे।

शायाने इश्क जो न हो वो ही बात करेंगे ।।

रूश्वा जनुने शौक के जज्बात करेंगे ।।

जिक्र उस जफा शियार का दिन रात करेगें।।

A. सहनी 

ज़िन्दगी P३

अर्ज के मतलब को भी गीला समझते हैं ।

क्या कहा मैंने वो क्या समझते हैं ।।

सरे साहिल डूबो दिया हमको...

तुझे ऐ नाखुदा हम खुदा समझते हैं ।।

Wednesday, June 29, 2022

मेरी डायरी से P ४

तेरी ख्वाहिसे, रंजिसे, और आजमाईशे,

भला इन सब से मुझे होश कहां ।।

Written By :- Honey "Awara"

 

ज़िन्दगी P 4

दुनिया के बहुत से रंग

महज़ एक आज़ाब थोड़ी हैं।।

ये फूल दिल हैं मेरा,

महज़ एक गुलाब थोड़ी हैं ।।


Written By :- Honey "Awara"

Tuesday, June 21, 2022

ख़्वाब

 

ख़्वाब में तितलियां हैं, चांद हैं, तारे हैं।
ख़्वाब में तुम मेरे हो, और ये सब तुम्हारे हैं।।

Tuesday, June 14, 2022

ज़िन्दगी P4

 नशीली ज़िन्दगी, ऊंचे शोंक ।।

आगे ज़िन्दगी, और पिछे मौत ।।


By :- Honey D. Awara

Friday, June 10, 2022

कितना दूर मेरा दरवेश....

कितना दूर मेरा दरवेश....

कितना दूर मेरा दरवेश....
बताएँगे आहिस्ता आहिस्ता ।।
कितना नज़र में फरेब....
बताएँगे आहिस्ता आहिस्ता ।।

Monday, June 6, 2022

मेरी डायरी से P 1

ये तेरी ज़ुल्फो के कसीदे 

मुझपे जाने कितने वार करे हैं ।। 

मैं तो तुझपे मरता है...

क्या तु भी मुझेसे प्यार करे है ।।

Written By :- Honey A. Dhara


Saturday, June 4, 2022

ज़िन्दगी P 3

 मोहब्बत का एक मुद्दा हैं जवानी भी ।।

और जवानी का भी एक मुद्दा है मोहब्बत ।।

ज़िन्दगी P 2

 ग़म से हर हाल आशनाई हैं ।।

दिल ने फिदरत आजीब पाई हैं ।।

Monday, May 30, 2022

अधूरा इश्क़ P3

 एक ये भी जुर्म है मेरे फर्दे गुनाह में ।।

दो चार दिन रहा था मैं तुम्हारी निग़ाह में ।।

Sunday, May 29, 2022

अधूरा इश्क़ P 2

आख़िर कब तलक

कब तलक यार मैं तेरे इश्क़ को रोऊ

आख़िर मेरे घर के भी तो 100 मसले है...

Saturday, May 28, 2022

आज मुझे तुम अपना कहो । Jhooth

आंखे झूठ, नजारा झूठ ।।

जो देखा निकला वो सारा झूठ ।।

मुझे तुम आज फिर कहो अपना,

बोलो आज फिर दुबारा झूठ ।।


Written by :- Honey A. Dhara

DOW -  May 29, 2018

Friday, May 27, 2022

दिल लगाना भी एक समस्या है ।।

जवानी को यूं खाली बिताना...

खाली बिताना भी एक समस्या है ।।

लगा लो दिल अगर कहीं तो दिल लगाना...

दिल लगाना भी एक समस्या है ।।

अधुरा इश्क़

 क्यो अडे हो अब तक 

तुम मोहब्बत की बात में..!!

अरे वो तो जवान लड़की थी

कह दिया होगा जज्बात में..!!


:- Honey A. dhara

ज़िन्दगी #HoneyAwaraShayar

 वक़्त के ना जाने कितने,

लम्हो से गुज़रना है मुझे ।।

इस जिंदगी में ना जाने कितने,

तारिको से मरना है मुझे ।।

दामन थाम के...!!!

 तेरा गम है कोई या फ़िर दर्द,

रात कटती है कालेजा थाम के ।।

ये चुपके चुपके सिस्किया कौन लेता है,

सब के सन्नाटे का दामन थाम के ।।

आज तक समझा न मेरे दर्द को कोई

ये हमदर्द भी रहे हमदर्द नाम के ।।


Honey_Awara_Shayar

 गेशु दराज़, मस्त नज़र, और चेहरा आफ़ताब

यार अब कुछ कमी नहीं बची तुम्हारे शबाब में ...

Sad Shayri Post 1

 तर्ज़े ज़फा नई नई रंगे...

और सितम नए नए ।।

होते हैं बज्मे नाज़ में...

हम पर करम नए नए ।।

#Ishq #Lazmi

ये इश्क है ....
इसमे हम लज़मी है
और जीना पडता हैं ।

जख्मे इश्क गहरा कितना भी हो
उसे सीना पड़ता हैं ।।




Written By :- Honey A. Dhara

Wednesday, February 23, 2022

बताएँगे आहिस्ता आहिस्ता ।।

कितना दूर मेरा दरवेश....
बताएँगे आहिस्ता आहिस्ता ।।
कितना नज़र में फरेब....
बताएँगे आहिस्ता आहिस्ता ।।